बिहार में बिजली की आपूर्ति दिन में 40 फीसदी तक कम हो गई, शहरों के मुकाबले गांवों में असर कम

 कोरोनावायरस के संक्रमण की आशंका के बाद हुए लॉकडाउन का सर्वाधिक असर बिजली आपूर्ति पर पड़ा है। बिहार में बिजली की आपूर्ति दिन में 40 फीसदी तक कम हो गई है। महज 1700-1800 मेगावाट बिजली से दिन में काम चल रहा है, जबकि शाम में पीक ऑवर में बिजली की मांग 3800 से 4000 मेगावाट तक रहती है। राजधानी पटना समेत सभी शहरों में बिजली की मांग लगातार कम होती जा रही है। गांवों में मामूली असर पड़ा है।



केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में ओवरऑल 6 से 8 प्रतिशत खपत कम हो गयी है। पूरे देश में खपत में 22 फीसदी से अधिक की कमी हुई है। राजधानी पटना में दिन में 10-15 फीसदी बिजली की खपत कम हुई है, जबकि शाम के समय यह कमी 4-5 फीसदी है। पटना में खपत पहले की अपेक्षा 100 मेगावाट कम हुई है। अन्य शहरों में भी मांग कम हो रही है। हालांकि, वहां इसका औसत अपेक्षाकृत कम है। शहरी क्षेत्रों में 5 से 20 फीसदी तक कमी देखी जा रही है।



मार्च के अंततक 4500 मेगावाट तक होती थी मांग : ऐसे सालाना आंकड़ों को देखें तो पिछले एक-दो साल से मार्च के अंततक बिहार में बिजली की मांग 4500 मेगावाट तक चली जाती थी। फिर इसमें क्रमवार तरीके से बढ़ोतरी होती रहती थी। इस साल माना जा रहा था कि बिजली की मांग 5000 मेगावाट से ऊपर होगी, लेकिन इसमें कमी ही हो रही है। माना जा रहा है कि लॉकडाउन की अवधि तक यही स्थिति रहेगी। यदि लॉकडाउन की अवधि बढ़ती है तो बिजली की मांग में और कमी आना संभव है।



सरकारी कार्यालयों में भी कम हो रही खपत
बिजली कंपनी के अनुसार बड़े-बड़े माॅल, होटल, रेस्टोरेंट, शो-रूम, कोचिंग संस्थान, स्कूल-काॅलेज, दुकानों व व्यावसायिक परिसरों के बंद होने का सीधा प्रभाव बिजली खपत पर पड़ा है। प्राइवेट दफ्तरों के बंद होने से भी बिजली की मांग कम हुई है। सरकारी कार्यालयों में भी बिजली की खपत काफी कम हुई है। हालांकि, घरों में बिजली का आपूर्ति बढ़ी है। इसीलिए बिजली की मांग में बहुत अधिक कमी नहीं आई है। घरों में टीवी खूब चल रहे हैं, जबकि अन्य बिजली उपकरणों का भी सामान्य दिनों की तुलना में उपयोग बढ़ा है।


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